भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रिया-6 / ध्रुव शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ध्रुव शुक्ल |संग्रह=खोजो तो बेटी पापा कहाँ हैं / ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:20, 11 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

जिसकी आयु कम थी
प्रिय हो गया
शब्द को वही अर्थ

यम पीछे पड़े हैं
द्वार पर खड़े हैं

घर में पुरुष नहीं है--
द्वार के पास खड़ी होकर रोज़ कह देती है
द्वार नहीं खोलती प्रिया
उसे बाँहों में भर लेती है