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काठी पर सवार को लिए
घोड़े भागते हैं सरपट
न वे देखते हैं दाएँ
न बाएँ
मोटा होता जाता है सवार
कम होती जाती है रफ़्तार
बढ़ती जाती है चाबुक की मार
कम मिलता है अब दाना
पिटिया घोड़ों का कहना है
थोड़ा ज़रूर है आहार
लेकिन है जायकेदार