भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आन बनी-1 / सुधीर मोता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर मोता }} <poem> कहीं फुसफुसा कानों में सुन सका क...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:09, 13 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
कहीं फुसफुसा कानों में
सुन सका कोई न
बात छुपी
पर गंध छुपेगी
कैसे वह
जो उठी, प्रसरी
पता चली।