भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चेतक की वीरता / श्यामनारायण पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=श्यामनारायण पाण्डेय | |
− | + | }} | |
− | + | ||
रणबीच चौकड़ी भर-भर कर<br> | रणबीच चौकड़ी भर-भर कर<br> | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 22: | ||
बैरी समाज रह गया दंग <br> | बैरी समाज रह गया दंग <br> | ||
घोड़े का ऐसा देख रंग<br><br> | घोड़े का ऐसा देख रंग<br><br> | ||
− | |||
− |
01:50, 7 मई 2008 का अवतरण
रणबीच चौकड़ी भर-भर कर
चेतक बन गया निराला था
राणाप्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था
गिरता न कभी चेतक तन पर
राणाप्रताप का कोड़ा था
वह दौड़ रहा अरिमस्तक पर
वह आसमान का घोड़ा था
बढते नद सा वह लहर गया
फिर गया गया फिर ठहर गया
बिकराल बज्रमय बादल सा
अरि की सेना पर घहर गया ।
भाला गिर गया गिरा निशंग
बैरी समाज रह गया दंग
घोड़े का ऐसा देख रंग