भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अकाल-2 / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=बहुत दिनों के बाद / सुधीर ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:56, 15 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
जलपक्षी बेचैन हैं
बेतरह बेचैन ।
तलाश में भटकते।
बोझिल थके डैने ।
बोझिल शरीर ।
बोझिल किरकिराती आँखें ।
जलपक्षी लगातार उड रहे हैं
गंदे उदास और बेचैन ।
वे महीनों से नहीं नहाये
उनकी चोंच महीनों से नहीं धुली ।
जलपक्षियों ने
महीनों से मछलियाँ नहीं देखीं ।
मछलियों के तमाम घर
सूखे और वीरान पड़े हैं ।