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"सूरज / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर

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03:17, 16 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

उसने थूक दिया उसके मुँह पे
नोंच लिया उसे
त्याग के रोटी का भय
निकल पड़ी वहाँ से

सामने धूप थी खिली हुई
उसके पाँव भरे थे पसीने में
उसकी मुट्ठियों में क़ैद था
सूरज