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"फिर भी हम ढूँढते हैं / रुस्तम" के अवतरणों में अंतर

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13:13, 28 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

हमारी
हताशा की गहराई में से
अभरते हैं
उम्मीद से भरे शब्द।

मौत
सदा बैठी रहती है
हमारे सिरहाने;
फिर भी
हम ढूँढते हैं
जीवन में कोई अर्थ।

अपने विवेक के सहारे
अपने दिनों के अँधेरे में से
हम खींच निकालते हैं
उज़ाले की कोई फाँक--
अपनी रातों को आलोकित करने के लिए।