"प्रिय चिरन्तन / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) छो (प्रिय चिरन्तन moved to प्रिय चिरन्तन / महादेवी वर्मा: गलत शीर्षक) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:24, 25 नवम्बर 2006 का अवतरण
लेखिका: महादेवी वर्मा
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
प्रिय चिरन्तन है सजनि,
क्षण क्षण नवीन सुहागिनी मैं!
श्वास में मुझको छिपा कर वह असीम विशाल चिर घन,
शून्य में जब छा गया उसकी सजीली साध-सा बन,
छिप कहाँ उसमें सकी
बुझ-बुझ जली चल दामिनी मैं!
छाँह को उसकी सजनि नव आवरण अपना बना कर,
धूलि में निज अश्रु बोने मैं पहर सूने बिता कर,
प्रात में हँस छिप गई
ले छलकते दृग यामिनी मैं!
मिलन-मन्दिर में उठा दूँ जो सुमुख से सजल गुण्ठन,
मैं मिटूँ प्रिय में मिटा ज्यों तप्त सिकता में सलिल-कण,
सजनि मधुर निजत्व दे
कैसे मिलूँ अभिमानिनी मैं!
दीप-सी युग-युग जलूँ पर वह सुभग इतना बता दे,
फूँक से उसकी बुझूँ तब क्षार ही मेरा पता दे!
वह रहे आराध्य चिन्मय
मृण्मयी अनुरागिनी मैं!
सजल सीमित पुतलियाँ पर चित्र अमिट असीम का वह,
चाह वह अनन्त बसती प्राण किन्तु ससीम सा यह,
रज-कणों में खेलती किस
विरज विधु की चाँदनी मैं?