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Kavita Kosh से
प्रिय चिरन्तन है सजनि,<br>
चाह वह अनन्त बसती प्राण किन्तु ससीम सा यह,<br>
रज-कणों में खेलती किस<br>
विरज विधु की चाँदनी चांदनी मैं?<br>