भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अम्मा का खत / केशव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=धूप के जल में / केशव }} Category:कविता <poem> ब...) |
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
[[Category:कविता]] | [[Category:कविता]] | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | उस ख़त की भी | |
− | + | एक भाषा है--- | |
− | + | अनगढ़ | |
+ | बेतरतीब | ||
+ | पर स्नेह की गन्ध में पगी | ||
+ | रिश्ते में सगी | ||
+ | कलम से कम | ||
+ | विश्वास की चरम सीमा से | ||
+ | अधिक ठगी | ||
− | + | ख़त का मजमून | |
− | + | उसे टेढ़े-मेढ़े | |
− | + | पर सच्चे | |
− | + | सपने को | |
− | + | खोलता है | |
− | + | ||
− | + | जिसे बुना है | |
− | + | बड़े यत्न से अम्मा ने | |
− | + | अपनी याद के महीन होते जा रहे | |
− | + | धागों से | |
− | + | ||
− | + | कोंपल की तरह हर बार फ़ूटती | |
− | </Poem> | + | हरे पत्ते तक पहुँच |
+ | अचानक कुम्हला जाती है | ||
+ | अम्मा की बूढ़ी आँख़ों में | ||
+ | प्रतीक्षा | ||
+ | |||
+ | ख़त के आखर | ||
+ | अम्मा के हाथ हैं | ||
+ | ऊपर उठे हुए | ||
+ | आशीर्वाद की मुद्रा में | ||
+ | |||
+ | ख़त के आखर | ||
+ | बोलते-बोलते | ||
+ | अचानक | ||
+ | बन जाते हैं | ||
+ | अम्मा की आँखें | ||
+ | </Poem> |
20:50, 3 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण
उस ख़त की भी
एक भाषा है---
अनगढ़
बेतरतीब
पर स्नेह की गन्ध में पगी
रिश्ते में सगी
कलम से कम
विश्वास की चरम सीमा से
अधिक ठगी
ख़त का मजमून
उसे टेढ़े-मेढ़े
पर सच्चे
सपने को
खोलता है
जिसे बुना है
बड़े यत्न से अम्मा ने
अपनी याद के महीन होते जा रहे
धागों से
कोंपल की तरह हर बार फ़ूटती
हरे पत्ते तक पहुँच
अचानक कुम्हला जाती है
अम्मा की बूढ़ी आँख़ों में
प्रतीक्षा
ख़त के आखर
अम्मा के हाथ हैं
ऊपर उठे हुए
आशीर्वाद की मुद्रा में
ख़त के आखर
बोलते-बोलते
अचानक
बन जाते हैं
अम्मा की आँखें