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"गीत / विद्यापति" के अवतरणों में अंतर

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जुबती भए जनमए जनु कोई।।
 
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भनइ विद्यापति अछ परकार।
 
भनइ विद्यापति अछ परकार।
 
दंद-समुद होअ जिब दए पार।।
 
दंद-समुद होअ जिब दए पार।।
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00:28, 7 फ़रवरी 2009 का अवतरण

जनम होअए जनु,जआं पुनि होइ।
जुबती भए जनमए जनु कोई।।
होइए जुबती जनु हो रसमंति।
रसओ बुझए जनु हो कुलमंति।।
निधन मांगओं बिहि एक पए तोहि।
थिरता दिहह अबसानहु मोहि।।
मिलओ सामि नागर रसधार।
परबस जन होअ हमर पिआर।।
परबस होइअ बुझिह बिचारि।
पाए बिचार हार कओन नारि।।
भनइ विद्यापति अछ परकार।
दंद-समुद होअ जिब दए पार।।