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"पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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इस में तेरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है
  
पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है <br>
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एक ज़हन-ए-परेशाँ में वो फूल सा चेहरा है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है <br><br>
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पत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी है
  
फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है <br>
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क्यों चांदनी रातों में दरिया पे नहाते हो
इस में तेरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है <br><br>
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सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है
  
एक ज़हन-ए-परेशाँ में वो फूल सा चेहरा है <br>
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इस हौसला-ए-दिल पर हम ने भी कफ़न पहना
पत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी है <br><br>
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हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गवानी है
  
क्यों चांदनी रातों में दरिया पे नहाते हो <br>
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रोने का असर दिल पर रह रह के बदलता है
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है <br><br>
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आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी है
  
इस हौसला-ए-दिल पर हम ने भी कफ़न पहना <br>
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ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना
हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गवानी है <br><br>
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तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है
 
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रोने का असर दिल पर रह रह के बदलता है <br>
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आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी है <br><br>
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ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना <br>
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तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है <br><br>
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15:31, 14 फ़रवरी 2009 का अवतरण

पत्थर के जिगर वालों ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है

फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
इस में तेरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है

एक ज़हन-ए-परेशाँ में वो फूल सा चेहरा है
पत्थर की हिफ़ाज़त में शीशे की जवानी है

क्यों चांदनी रातों में दरिया पे नहाते हो
सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है

इस हौसला-ए-दिल पर हम ने भी कफ़न पहना
हँस कर कोई पूछेगा क्या जान गवानी है

रोने का असर दिल पर रह रह के बदलता है
आँसू कभी शीशा है आँसू कभी पानी है

ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना
तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है