भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तुमने जो पथराव जिए / विज्ञान व्रत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विज्ञान व्रत |संग्रह= }} <Poem> तुमने जो पथराव जिए हमन...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:42, 12 मार्च 2009 के समय का अवतरण
तुमने जो पथराव जिए
हमने उनके घाव जिए
बचपन का दोहराव जिए
हम काग़ज़ की नाव जिए
वो हमसे अलगाव जिए
यानी एक अलाव जिए
सुलझाने को एक तनाव
हमने कई तनाव जिए
जिसको मंज़िल पाना है
वो क्या खाक पड़ाव जिए!