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+ | विकीर्ण दिव्य दाह-सी | ||
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+ | सपूत मातृभूमि के- | ||
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+ | रुको न शुर साहसी ! | ||
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+ | अराति सैन्य सिंधु में ,सवान्ग्वाग्नी से चलो, | ||
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+ | प्रवीर हो जयी बनो - बढे चलो, बढे चलो ! |
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जयशंकर प्रसाद की रचनाएँ
जयशंकर प्रसाद
जन्म | 30 जनवरी 1889 |
---|---|
निधन | 14 जनवरी 1937 |
जन्म स्थान | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
कामायनी, आँसू, कानन-कुसुम, प्रेम पथिक, झरना, लहर, | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
जयशंकर प्रसाद / परिचय |
- आह ! वेदना मिली विदाई / जयशंकर प्रसाद
- बीती विभावरी जाग री / जयशंकर प्रसाद
- दो बूँदें / जयशंकर प्रसाद
- प्रयाणगीत / जयशंकर प्रसाद
- तुम कनक किरन / जयशंकर प्रसाद
- भारत महिमा / जयशंकर प्रसाद
- आँसू / जयशंकर प्रसाद (लम्बी रचना)
- अरुण यह मधुमय देश हमारा / जयशंकर प्रसाद
- कामायनी / जयशंकर प्रसाद (लम्बी रचना)
- आत्मकथ्य / जयशंकर प्रसाद
- चित्राधार / जयशंकर प्रसाद
- झरना / जयशंकर प्रसाद
- कानन-कुसुम / जयशंकर प्रसाद
- लहर / जयशंकर प्रसाद
- सब जीवन बीता जाता है / जयशंकर प्रसाद
- हिमाद्रि तुंग श्रृंग से / जयशंकर प्रसाद
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्ज्वाला
स्वतंत्रता पुकारती
'अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त पुन्य पथ है, बढे चलो, बढे चलो!'
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ
विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के-
रुको न शुर साहसी !
अराति सैन्य सिंधु में ,सवान्ग्वाग्नी से चलो,
प्रवीर हो जयी बनो - बढे चलो, बढे चलो !