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"ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां / भजन" के अवतरणों में अंतर
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20:06, 17 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां ॥
किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय ।
धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ॥
अंचल रज अंग झारि विविध भांति सो दुलारि ।
तन मन धन वारि वारि कहत मृदु बचनियां ॥
विद्रुम से अरुण अधर बोलत मुख मधुर मधुर ।
सुभग नासिका में चारु लटकत लटकनियां ॥
तुलसीदास अति आनंद देख के मुखारविंद ।
रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां ॥