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"बन्दा नवाज़ियों पे खु़दा-ए-करीम था / अमीर मीनाई" के अवतरणों में अंतर

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21:49, 1 मई 2009 का अवतरण

 
बन्दा नवाज़ियों पे ख़ुदा-ए-करीम था
करता न मैं गुनाह तो गुनाह-ए-अज़ीम था

बातें भी की ख़ुदा ने दिखाया जमाल भी
वल्लाह क्या नसीब जनाब-ए-कलीम था

दुनिया का हाल अहल-ए-अदम है ये मुख़तसर
इक दो क़दम का कूचा-ए-उम्मिद-ओ-बीम था

करता मैं दर्दमन्द तबीबों से क्या रजू
जिस ने दिया था दर्द बड़ा वो हकीम था

समाँ-ए-उफ़्व क्या मैं कहूँ मुख़तसर है ये
बन्दा गुनाहगार था ख़ालिक़ करीम था

जिस दिन से मैं चमन में हुआ ख़्ह्वाह-ए-गुल 'आमीर'
नाम-ए-सबा कहीं न निशान-ए-नसीम था