भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ओस पदे बहार पर आग लगे कनार में / जिगर मुरादाबादी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जिगर मुरादाबादी }}<poem> Category:ग़ज़ल ओस पदे बहार पर आ...)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
[[Category:ग़ज़ल]]
 
ओस पदे बहार पर आग लगे कनार में  
 
ओस पदे बहार पर आग लगे कनार में  
तुम जो नहीं कनार में लुट्फ़ ही क्य बहार में  
+
तुम जो नहीं कनार में लुत्फ़ ही क्या बहार में  
  
उस पे करेख़ुदा रहम गर्दिश-ए-रोज़गार में  
+
उस पे करे ख़ुदा रहम गर्दिश-ए-रोज़गार में  
अपनी तलाश चोड़कर जो है तलाश-ए-यार में  
+
अपनी तलाश छोड़कर जो है तलाश-ए-यार में  
  
हम कहीं जानेवाले हैं दामन-ए-इश्क़ चोड़कर
+
हम कहीं जानेवाले हैं दामन-ए-इश्क़ छोड़कर
ज़िस्त तेरे हुज़ूर में, मौत तेरे दयार में
+
ज़ीस्त तेरे हुज़ूर में, मौत तेरे दयार में

17:18, 2 मई 2009 के समय का अवतरण


ओस पदे बहार पर आग लगे कनार में
तुम जो नहीं कनार में लुत्फ़ ही क्या बहार में

उस पे करे ख़ुदा रहम गर्दिश-ए-रोज़गार में
अपनी तलाश छोड़कर जो है तलाश-ए-यार में

हम कहीं जानेवाले हैं दामन-ए-इश्क़ छोड़कर
ज़ीस्त तेरे हुज़ूर में, मौत तेरे दयार में