भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ख़त / अभिज्ञात" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: बहुत दिनों बाद एक भूले हुए एक दोस्त का ख़त मिला मैं अरसे तक उसे जे...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=अभिज्ञात
 +
}}
 +
<poem>
 
बहुत दिनों बाद एक भूले हुए एक दोस्त का ख़त मिला
 
बहुत दिनों बाद एक भूले हुए एक दोस्त का ख़त मिला
 
मैं अरसे तक उसे जेब में लिए घूमता रहा
 
मैं अरसे तक उसे जेब में लिए घूमता रहा
पंक्ति 26: पंक्ति 30:
 
और पता नहीं क्यों नहीं मिल सका मेरे दोस्त को
 
और पता नहीं क्यों नहीं मिल सका मेरे दोस्त को
 
मेरे चाहने के बावजूद।
 
मेरे चाहने के बावजूद।
 +
</poem>

15:51, 6 मई 2009 का अवतरण

बहुत दिनों बाद एक भूले हुए एक दोस्त का ख़त मिला
मैं अरसे तक उसे जेब में लिए घूमता रहा
सोचता रहा कि कल
बस कल ही लिख दूंगा उसका
कोई प्यारा सा एक जवाब
फिर मैं बार-बार भूलता रह और इस काम को
याद करता रहा

एक दिन आखिर निकाल हीं लिया समय और
लिख डाला ख़त
खत के जवाब में ज्यादा यह लिखा कि क्यों और
आखिर क्यों देर हुई खत के जवाब में
फिर मैं ने उसे सहेज कर रखा अपनी जेब में
कि उसे कल सुबह ही सबसे पहले कर दूंगा पोस्ट
और फिर अरसे तक मैं उस खत को नहीं भेज सका

फिर देर होती गई और यह लगा कि
बेकार और बेमानी है इतने दिनों बाद किसी खत
का जवाब देना
कितने दिन बाद यह जोडने की जहमत भी नहीं उठाते बनी
अब बरसों बाद मेरे जेहन में टंगा है वह अनभेजा
खत
क्या करूं उस जवाब का जो मैंने
खत में लिखा था
और पता नहीं क्यों नहीं मिल सका मेरे दोस्त को
मेरे चाहने के बावजूद।