भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पंख / विष्णु खरे" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकारः विष्णु खरे Category:कविताएँ Category:विष्णु खरे ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ म...)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकारः [[विष्णु खरे]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=विष्णु खरे
[[Category:विष्णु खरे]]
+
|संग्रह=
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
 
+
 
+
 
मरा हुआ ताज़ा कबूतर
 
मरा हुआ ताज़ा कबूतर
  

14:31, 8 मई 2009 के समय का अवतरण

मरा हुआ ताज़ा कबूतर

कोलतार की सड़क पर.

जैसे वंदनीय सर्प की पीठ पर

अक्षत रखा हो. उसकी रक्ताभ आँखें

अभी भी आते-जाते पहियों को देखती हैं.


एक जंगली कबूतर की

क्या कीमत हो सकती है ? शाम तक

जहाँ लाश थी वहाँ कुछ पंख हैं

जिन्हें दुविधा में पड़ा हुआ

गाँव का कुत्ता दूर से सूँघता है.