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मृदुल नींद नीड़ की गोद में | मृदुल नींद नीड़ की गोद में |
14:12, 27 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
मृदुल नींद नीड़ की गोद में
- और परों की सेज नरम,
बाहर झुलसी हवा बह रही
- रह-रह कर लू तेज़ गरम,
बाहर अर्धनग्न पीड़ा
- भीतर क्रीड़ा-लबरेज़ हरम,
करुणा के आँगन में, नेता
- दे थोड़ी-सी भेज शरम !