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"सहमे सहमे आप हैं / तेजेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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रिश्तों की भी अहमियत अब ख़त्म सी होने लगी
कुछ डरे से वो भी हैं, और सहमें सहमें आप हैं<br><br>
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धर्म और जाति के झगडे़ बन गये अब पाप हैं<br><br>
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दाग़ हैं इक बदनुमा, इंसानियत पर, शाप हैं
  
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भेस में अपनों के देखो पल रहे अब सांप हैं<br><br>
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क्यों भला रावण का सब मिल, कर रहे अब जाप हैं<br><br>
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21:28, 16 मई 2009 के समय का अवतरण

मस्जिदें ख़ामोश हैं, मंदिर सभी चुपचाप हैं
कुछ डरे से वो भी हैं, और सहमें सहमें आप हैं

वक्त है त्यौहार का, गलियाँ मगर सुनसान हैं
धर्म और जाति के झगडे़ बन गये अब पाप हैं

रिश्तों की भी अहमियत अब ख़त्म सी होने लगी
भेस में अपनों के देखो पल रहे अब सांप हैं

मुंह के मीठे, पीठ मुड़ते भोंकते खंजर हैं जो
दाग़ हैं इक बदनुमा, इंसानियत पर, शाप हैं

राम हैं हैरान, ये क्या हो रहा संसार में
क्यों भला रावण का सब मिल, कर रहे अब जाप हैं