भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"झरबेर / केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ सिंह |संग्रह=यहाँ से देखो / केदारनाथ स...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:40, 24 मई 2009 के समय का अवतरण
प्रचंड धूप में
इतने दिनों बाअ
(कितने दिनों बाअ)
मैंने ट्रेन की खिड़की से एखे
कँटीली झाड़ियों पर
पीले-पीले फल
’झरबेर हैं’- मैंने अपनी स्मृति को कुरेदा
और कहीं गहरे
एक बहुत पुराने काँटे ने
फिर मुझे छेदा