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"घूस माहात्म्य / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर

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कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार
 
कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार

18:20, 25 मई 2009 का अवतरण

कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार

ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार

बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी

माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी

कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा

जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदा