भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बीसवीं सदी / श्याम किशोर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्याम किशोर |संग्रह=कोई ख़तरा नहीं है / श्याम कि...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:52, 28 मई 2009 के समय का अवतरण
सबके बारे में
बहुत-बहुत बोलते हुए
सिर्फ़ अपने आप से
मुख़ातिब है यह लड़की
साल-दर-साल
अपने आप से बातें करते हुए !
अपने आप से बातें करती हुई लड़की
कहाँ
कौन से दरीचों में गुम हो जाती है
अंततः !