भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शब्द-9 / केशव शरण" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव शरण |संग्रह=जिधर खुला व्योम होता है / केशव श...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:23, 29 मई 2009 के समय का अवतरण
शब्दों में भी
और शब्देतरों में भी
सबसे रसीले
सबसे मीठे
होते हैं प्यार के शब्द
जो न केवल
कानों को सुहाते
बल्कि रोम-रोम हैं
हर्षा जाते
वर्षा जाते
स्वाति की अमृत बूंदें
जिन्हें पाकर
जीवन की सीपियाँ
मोती होतीं