भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आता-जाता आदमी / शुभा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभा |संग्रह=}} <Poem> आता-जाता आदमी चिड़िया गाती ह...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:34, 29 मई 2009 का अवतरण
आता-जाता आदमी
चिड़िया गाती है
हवा पानी में घुल जाती है
धूप रेत में घुस जाती है
पेड़ छाया बनकर दौड़-भाग करते हैं
पानी पर काई फैलती है बड़ी शान से
टिड्डे उड़ान रोककर घास पर कूदने लगते हैं
ओछे दिल का आदमी बड़ी-बड़ी आँखें
बड़े-बड़े कान लिए आता-जाता रहता है
बिना कुछ देखे-बिना कुछ सुने