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"उसने कहा था... / प्रेमचन्द गांधी" के अवतरणों में अंतर

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21:24, 31 मई 2009 के समय का अवतरण

याद करते रहना
मगर रोना नहीं
मन करे तो चिट्ठी लिखना
लेकिन, डाकिए की राह
कभी मत देखना

मैं न रोया
न चिट्ठी लिखी
हाँ, याद रखा उसका जाना
और जो उसने कहा था

प्रेम की पीड़ा में
बिना रोये ही
सूख गयीं आँखें
चिट्ठियाँ लिखना तक भूल गये हाथ