भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आकाश के आंगन में / किरण मल्होत्रा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=किरण मल्होत्रा }} <poem> आकाश के आंगन में खरगोश-सी सफ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

08:54, 30 जून 2009 के समय का अवतरण

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

आकाश के आंगन में
खरगोश-सी सफ़ेद
रेशम-सी कोमल
छोटी-छोटी बदलियाँ

कल थी
आज नहीं हैं
जैसे यादें कुछ पुरानी
कल थी
आज नहीं हैं

मन भी शायद
एक आकाश है
कभी पल में
उमड़ती-घुमड़ती
घटाएँ घनघोर
तो कभी
मीलों तक
लंबी खामोशियाँ...