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"सिलाई / दिलीप चित्रे" के अवतरणों में अंतर

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21:45, 13 जुलाई 2009 के समय का अवतरण

मन प्राणों की सुई
ईकाग्र सफ़ाई से लगाती
जनम-जनम का टाँका
मौन कपड़ा, शान्त धागा
मेरे सब-कुछ की सिलाई

चुस्त बुनाई
जैसे हथेली में हथेली
हँसी में
रहस्य
चमक गए दाँत
जैसे रचना

अब सुई की आँख में
पिरोया
आशीर्वाद का झरना
समस्त स्तब्ध
फैलाव
एकटक
पीठ किए।


अनुवाद : चन्द्रकांत देवताले