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"ख़ुशबू / केशव शरण" के अवतरणों में अंतर
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एक हाथ से
जब दूसरे या तीसरे हाथ में जाती है
मंद पड़ जाती है ख़ुशबू
एक के बाद
एक को छोड़
जब हम लपकते हैं
किसी और इरादे की ओर
यही होता है