भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आधी रात / हो ची मिन्ह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हो ची मिन्ह |संग्रह= }} <poem> सोते हुए सभी चेहरे लगते ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:59, 24 जुलाई 2009 के समय का अवतरण
सोते हुए सभी चेहरे
लगते हैं निश्छल
गुण-दुर्गुण लोगों के
जगने पर खुलते हैं
होते नहीं किसी में
जन्मजात गुण-अवगुण
शिक्षा से ही अक्सर
वे तमाम मिलते हैं