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* [[हमारे प्यार का सपना भी आज टूट न जाय ]] | * [[हमारे प्यार का सपना भी आज टूट न जाय ]] | ||
* [[हमारे सामने आओ कि हम भी देख सकें ]] | * [[हमारे सामने आओ कि हम भी देख सकें ]] | ||
− | * [[हमारे सुर से किसी का | + | * [[हमारे सुर से किसी का सिँगार हो तो हो ]] |
* [[हमेशा दूर ही रहते हैं आप, क्या कहिए]] | * [[हमेशा दूर ही रहते हैं आप, क्या कहिए]] | ||
− | * [[हमें तो कहते हो,'अपना ख़याल है कि नहीं?']] | + | * [[हमें तो कहते हो, 'अपना ख़याल है कि नहीं?']] |
* [[हरदम किसी की याद में जलते रहे हैं हम]] | * [[हरदम किसी की याद में जलते रहे हैं हम]] | ||
* [[हुआ है प्यार भी ऐसे ही कभी साँझ ढले ]] | * [[हुआ है प्यार भी ऐसे ही कभी साँझ ढले ]] |
18:53, 9 अगस्त 2009 का अवतरण
सौ गुलाब खिले
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रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
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प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अँधेरी रात के परदे में झिलमिलाया किये
- अगर समझो तो मैं ही सब कहीं हूँ
- अपने हाथों से ज़हर भी जो पिलाया होता
- अब क्यों उदास आपकी सूरत भी हुई है
- अब हमारे वास्ते दुनिया ठहर जाए तो क्या!
- आँखों-आँखों में ही दोस्ती हो गयी
- आज तो शीशे को पत्थर पे बिखर जाने दे
- आप क्यों जान को यह रोग लगा लेते हैं
- आप, हम, और कुछ भी नहीं!
- आये थे जो बड़े ही ताव के साथ
- उतरती आ रही हैं प्राण में परछाइयाँ किसकी!
- उनकी आँखों में प्यास देखेंगे
- उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता!
- उन्हें बाँहों में बढ़कर थाम लेंगे
- एक अनजान बिसुधपन में जो हुआ सो ठीक
- कभी सिर झुका के चले गए, कभी मुँह फिरा के चले गये
- कभी हमसे खुलो जाने के पहले
- कहाँ पर हमको उमीदों ने लाके छोड़ दिया
- क्या ज़िन्दगी को दीजिये क्या-क्या न दीजिये!
- क्या बने हमसे भला कागज़ की तलवारों से आज!
- किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए
- कुछ उन्हें मेरा ध्यान हो भी तो!
- कुछ ऐसे साज़ को हमने बजाके छोड़ दिया
- कुछ जगह उनके दिल में पा ही गयी
- कुछ हम भी लिख गये हैं तुम्हारी किताब में
- कोई साथी भी नहीं, कोई सहारा भी नहीं
- कोई हमीं से आँख चुराये तो क्या करें!
- कोई हमें सताये, सताता ही जाये तो
- खनक कुछ कम भी हो तो कम नहीं है
- खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये
- चुप तो किसी भी बात पर रहते नहीं हैं हम
- चले भी आइये क्यारी में सौ गुलाब खिले
- जहां है दिल ने पुकारा, वहीं जाना होगा
- जान उन पर लुटाके बैठ गए
- ज़िन्दगी को यों ही भरमाया किये
- ज़िन्दगी दर्द का दाह है
- जो कहते हैं - 'हमसे लड़ाई हुई है'
- जो जीवन में दुःख की घटा बन गयी है
- जो पीने में ज़्यादा या कम देखते हैं
- जो रोते हैं ऐसी ही बातों में आप
- झलक भी प्यार की कुछ उसमें मिल गयी होती
- तुम्हारे रूप को चाहे भला कहे तो कहे
- तेरी तिरछी अदाओं पर जिन्हें मरना नहीं आता
- दम न छूटे तो चारा नहीं
- दिया भी याद का इसमें जला के रक्खा है
- दिल के लुट जाने का ग़म कुछ भी नहीं!
- दिल्लगी और ही है, दिल की लगी और ही है
- दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था
- दिल की तड़पन देखिये, दुनिया की ठोकर देखिये
- दिल को तुम्हारे वादे का ऐतबार तो रहे
- दीप जलता ही रहेगा रात भर
- दुनिया को अपनी बात सुनाने चले हैं हम
- दो घड़ी की हँसी-खुशी के लिए
- नज़र अब उनसे मिलाने की बात कौन करे!
- नज़र नज़र से ही टकराए और कुछ मत हो
- नज़र से दूर भी जाने से कोई दूर न था
- नहीं एक दिल की लगी छूटती है
- नहीं कोई भी मरने के सिवा अब काम बाक़ी है
- नहीं दुःख ये भार होता, न ये इंतज़ार होता
- न होंठ तक कभी आई, न मन के द्वार गयी
- निराश प्राण में आशा के सुर सजाते चलो
- पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइए
- प्यार की बात न कर, प्यार को बस रहने दे
- प्यार को हम न कोई नाम दिया चाहते हैं
- प्यार में यों भी जीना हुआ
- प्राण में गुनगुना रहा है कोई
- फिर उन्हें हम पुकार बैठे हैं
- फिर किसी प्यार की पुकार है आज
- बड़ी हसीन है सपनों की रात, चुप भी रहो
- बहुत हमने खोया, बहुत हमने पाया
- बात होनी थी, होके रही
- बातें हम अपने प्यार की, उनसे छिपाके कह गये
- बिना अब आपके जीना तो साँसें जोड़ना ठहरा
- भले ही दिल न मिले आँख चार होती रहीं
- भले ही बाग़ में कोयल भी है, बहार भी है
- भोर होनी थी, होके रही
- मिलके आँखें हैं छलछलायी क्यों!
- मुझे भी अपना बना लो, बहुत उदास हूँ मैं
- मुँह से कहते नहीं, 'गुलाब भी है'
- मिलने की हर खुशी में बिछुड़ने का ग़म हुआ
- मेरा जीना प्यार का जीना, उनकी बातें काम की बातें
- मेरी चुप्पी भी उनको भा ही गयी
- मौत आँखें दिखाती रही
- यह ज़िन्दगी तो कट गयी काँटों की डाल में
- यह तो वेला है ढलती रही
- रहे न चाँद, यही चाँदनी रहे न रहे
- लगी है चोट जो दिल पर बता नहीं सकते
- लुभा रही है बहुत उनके देखने की अदा
- वनों में आग है, बिजली भी आसमान में है
- वहीं जो पाँव ठिठक जाय, क्या करे कोई!
- विश्व उद्यान है, भ्रमण कर लो
- वैसे तो आज प्यार में हारे हुए हैं हम
- सबसे आँखें तो चार करते हैं
- सभी तरफ है अँधेरा, कहीं भी कोई नहीं
- साज़ क्यों बज नहीं पाता है, कोई बात भी हो!
- सुनते नहीं हैं पाँव की आहट कहीं से हम
- हम अपनी उदासी का असर देख रहे हैं
- हम अपने मन का उन्हें देवता समझते हैं
- हम उनको अपना बना लें, कभी वो खेल तो हो
- हमसे किसी का प्यार छिपाया न जाएगा
- हम यों भी कभी प्यार की ठोकर में जी गये
- हमारी रात अँधेरी से चाँदनी बन जाय
- हमारे प्यार का सपना भी आज टूट न जाय
- हमारे सामने आओ कि हम भी देख सकें
- हमारे सुर से किसी का सिँगार हो तो हो
- हमेशा दूर ही रहते हैं आप, क्या कहिए
- हमें तो कहते हो, 'अपना ख़याल है कि नहीं?'
- हरदम किसी की याद में जलते रहे हैं हम
- हुआ है प्यार भी ऐसे ही कभी साँझ ढले