भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भस्मारती / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य |संग्रह=कवि का कोई घर नहीं होता ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:40, 13 अगस्त 2009 के समय का अवतरण
एक दुनिया
जल-जल कर
भस्म हो गई है
उसके अन्दर
उसी भस्म से
करता वह अभिषेक स्वयं का
महाकाल हो जाता
उसको मल-मल कर