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20:50, 19 अगस्त 2009 का अवतरण

पपीहा बोलि जा रे!
पपीहा डोलि जा रे!

बादर ब‍इरी रूप बनावयिं
मारयिं बूँदन बानु।
तिहिं पर तुइ पिउ-पिउ ग्वहराव‍इ
हाँकन हूकु न, मानु।

पपीहा बोलि जा रे!
पपीहा डोलि जा रे!

हाली डोलि जा रे
तपि-तपि रहिउँ तपंता साथी
लूकन लूक न लागि।
जागि रहे उयि कहूँ कँधैया
दागि बिरह की आगि।

पपीहा बोलि जा रे!
पपीहा डोलि जा रे!

छिनु-छिनु पर छवि हायि न भूलयि
हूलयि हिया हमार।
साजन आवयिं तब तुइ आये
आजु बोलु उयि पार।

पपीहा बोलि जा रे!
पपीहा डोलि जा रे!