भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"विवशता / अरविन्द श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: वह धीरे से सरका करीब आया हल्की मुस्कान के साथ दबी किन्तु सख्त जुब...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKGlobal}} | ||
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <Poem> | ||
वह धीरे से सरका | वह धीरे से सरका | ||
− | + | क़रीब आया | |
हल्की मुस्कान के साथ | हल्की मुस्कान के साथ | ||
− | दबी किन्तु | + | दबी किन्तु सख़्त जुबान मे बोला- |
− | ' स्मैक लोगे ?' | + | 'स्मैक लोगे?' |
मै कहता नहीं | मै कहता नहीं | ||
तो भी मुझे लेना पड़ता । | तो भी मुझे लेना पड़ता । | ||
+ | </poem> |
00:44, 8 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
वह धीरे से सरका
क़रीब आया
हल्की मुस्कान के साथ
दबी किन्तु सख़्त जुबान मे बोला-
'स्मैक लोगे?'
मै कहता नहीं
तो भी मुझे लेना पड़ता ।