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"कठिन समय में / मनीष मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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10:43, 8 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

हमें कठिन क्षणों में भी गुनगुनाना चाहिए अपना मौन
बुननी चाहिए उधड़ते हुए रिश्तो की सीवन
लिखनी चाहिए प्रेम कविताएँ
निहारना चाहिए चाँद के आलोक में लिपटता आकाश
रखना चाहिए एक स्मृति-फूल किताब के भीतर
और लौटना चाहिए पुराने दोस्त दिनों में

हमें कठिन समय में भी
अपने आदि-मंत्र की तरह
सहेजकर रखनी चाहिए
बची खुची
जीवन के प्रति अपनी
कोमल जिजीविषा!