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"संध्या सिंदूर लुटाती है / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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संध्या सिंदूर लुटाती है! | संध्या सिंदूर लुटाती है! | ||
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रंगती स्वर्णिम रज से सुदंर | रंगती स्वर्णिम रज से सुदंर | ||
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निज नीड़-अधीर खगों के पर, | निज नीड़-अधीर खगों के पर, | ||
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तरुओं की डाली-डाली में कंचन के पात लगाती है! | तरुओं की डाली-डाली में कंचन के पात लगाती है! | ||
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संध्या सिंदूर लुटाती है! | संध्या सिंदूर लुटाती है! | ||
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करती सरिता का जल पीला, | करती सरिता का जल पीला, | ||
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जो था पल भर पहले नीला, | जो था पल भर पहले नीला, | ||
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नावों के पालों को सोने की चादर-सा चमकाती है! | नावों के पालों को सोने की चादर-सा चमकाती है! | ||
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संध्या सिंदूर लुटाती है! | संध्या सिंदूर लुटाती है! | ||
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उपहार हमें भी मिलता है, | उपहार हमें भी मिलता है, | ||
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श्रृंगार हमें भी मिलता है, | श्रृंगार हमें भी मिलता है, | ||
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आँसू की बूंद कपोलों पर शोणित की-सी बन जाती है! | आँसू की बूंद कपोलों पर शोणित की-सी बन जाती है! | ||
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संध्या सिंदूर लुटाती है! | संध्या सिंदूर लुटाती है! | ||
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10:47, 3 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
संध्या सिंदूर लुटाती है!
रंगती स्वर्णिम रज से सुदंर
निज नीड़-अधीर खगों के पर,
तरुओं की डाली-डाली में कंचन के पात लगाती है!
संध्या सिंदूर लुटाती है!
करती सरिता का जल पीला,
जो था पल भर पहले नीला,
नावों के पालों को सोने की चादर-सा चमकाती है!
संध्या सिंदूर लुटाती है!
उपहार हमें भी मिलता है,
श्रृंगार हमें भी मिलता है,
आँसू की बूंद कपोलों पर शोणित की-सी बन जाती है!
संध्या सिंदूर लुटाती है!