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"अंखियां हरि–दरसन की प्यासी / सूरदास" के अवतरणों में अंतर
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देख्यौ चाहति कमलनैन कौ¸ निसि–दिन रहति उदासी।। | देख्यौ चाहति कमलनैन कौ¸ निसि–दिन रहति उदासी।। | ||
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आए ऊधै फिरि गए आंगन¸ डारि गए गर फांसी। | आए ऊधै फिरि गए आंगन¸ डारि गए गर फांसी। | ||
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केसरि तिलक मोतिन की माला¸ वृन्दावन के बासी।। | केसरि तिलक मोतिन की माला¸ वृन्दावन के बासी।। | ||
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काहू के मन को कोउ न जानत¸ लोगन के मन हांसी। | काहू के मन को कोउ न जानत¸ लोगन के मन हांसी। | ||
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सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ¸ करवत लैहौं कासी।। | सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ¸ करवत लैहौं कासी।। | ||
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23:03, 18 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
अंखियां हरि–दरसन की प्यासी।
देख्यौ चाहति कमलनैन कौ¸ निसि–दिन रहति उदासी।।
आए ऊधै फिरि गए आंगन¸ डारि गए गर फांसी।
केसरि तिलक मोतिन की माला¸ वृन्दावन के बासी।।
काहू के मन को कोउ न जानत¸ लोगन के मन हांसी।
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौ¸ करवत लैहौं कासी।।