भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"युक्ति / प्रेमरंजन अनिमेष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमरंजन अनिमेष |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <poem> बिछड़ते स…)
(कोई अंतर नहीं)

18:38, 22 अक्टूबर 2009 का अवतरण

बिछड़ते समय
बदल लिए थे हाथ मैंने

अब रहूँ कहीं भी
मेरा हाथ तुम्हारे पास
स्पर्श करता तुम्हें
सोच में
सम्भालता चेहरा तुम्हारा
नींद में थपकाता
पोंछता आँसू
देता धूप में ओट...

और उससे
कर सकता हूँ कुछ भी ग़लत कैसे

सँवारता हूँ दुनिया को मैं
तुम्हारे हाथ से।