भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कोयला और आदमी / दीनदयाल शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीनदयाल शर्मा }} {{KKCatBaalKavita}} <poem> कोयला जैसा बाहर से वै…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:40, 24 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
कोयला जैसा बाहर से
वैसा ही भीतर से है ।
फिर भी
दूसरों के लिए
जलता है ।
आदमी का आजकल
पता ही नहीं चलता है ।
मूल राजस्थानी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा