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"पतझर-1 / अचल वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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अंधेरे का घिरना | अंधेरे का घिरना | ||
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सन्नाटे के चाबुक | सन्नाटे के चाबुक | ||
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पीठ पर पड़ना | पीठ पर पड़ना | ||
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बेहद ज़रूरी है | बेहद ज़रूरी है | ||
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इससे पीठ होने का अहसास | इससे पीठ होने का अहसास | ||
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गहरा होता है | गहरा होता है | ||
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देह में अचानक | देह में अचानक | ||
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आग के सोते फूटते हैं | आग के सोते फूटते हैं | ||
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खुलासा होता है | खुलासा होता है | ||
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कंधों से जुड़े दो हाथ | कंधों से जुड़े दो हाथ | ||
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आख़िर क्यों हैं | आख़िर क्यों हैं | ||
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23:58, 31 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
पतझर की तरह टूटना
अंधेरे का घिरना
सन्नाटे के चाबुक
पीठ पर पड़ना
बेहद ज़रूरी है
इससे पीठ होने का अहसास
गहरा होता है
देह में अचानक
आग के सोते फूटते हैं
खुलासा होता है
कंधों से जुड़े दो हाथ
आख़िर क्यों हैं