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"देखिये न मेरी कारगुज़ारी / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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अब मेरे पास यह घमंड है
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कि सारा समाज मेरा एहसानमन्द है ।
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23:43, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

अब देखिये न मेरी कारगुज़ारी
कि मैं मँगनी के घोड़े पर
सवारी पर
ठाकुर साहब के लिए उन की रियाया से लगान
और सेठ साहब के लिए पंसार-हट्टे की हर दुकान
से किराया
वसूल कर लाया हूँ ।
थैली वाले को थैली
तोड़े वाले को तोड़ा
-और घोड़े वाले को घोड़ा
सब को सब का लौटा दिया
अब मेरे पास यह घमंड है
कि सारा समाज मेरा एहसानमन्द है ।