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"घबरा कर / कुंवर नारायण" के अवतरणों में अंतर
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वह किसी उम्मीद से मेरी ओर मुड़ा था | वह किसी उम्मीद से मेरी ओर मुड़ा था | ||
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लेकिन घबरा कर वह नहीं मैं उस पर भूँक पड़ा था । | लेकिन घबरा कर वह नहीं मैं उस पर भूँक पड़ा था । | ||
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ज़्यादातर कुत्ते | ज़्यादातर कुत्ते | ||
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पागल नहीं होते | पागल नहीं होते | ||
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न ज़्यादातर जानवर | न ज़्यादातर जानवर | ||
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हमलावर | हमलावर | ||
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ज़्यादातर आदमी | ज़्यादातर आदमी | ||
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डाकू नहीं होते | डाकू नहीं होते | ||
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न ज़्यादातर जेबों में चाकू | न ज़्यादातर जेबों में चाकू | ||
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ख़तरनाक तो दो चार ही होते लाखों में | ख़तरनाक तो दो चार ही होते लाखों में | ||
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लेकिन उनका आतंक चौकता रहता हमारी आँखों में । | लेकिन उनका आतंक चौकता रहता हमारी आँखों में । | ||
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मैंने जिसे पागल समझ कर | मैंने जिसे पागल समझ कर | ||
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दुतकार दिया था | दुतकार दिया था | ||
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वह मेरे बच्चे को ढूँढ रहा था | वह मेरे बच्चे को ढूँढ रहा था | ||
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जिसने उसे प्यार दिया था। | जिसने उसे प्यार दिया था। | ||
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02:09, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
वह किसी उम्मीद से मेरी ओर मुड़ा था
लेकिन घबरा कर वह नहीं मैं उस पर भूँक पड़ा था ।
ज़्यादातर कुत्ते
पागल नहीं होते
न ज़्यादातर जानवर
हमलावर
ज़्यादातर आदमी
डाकू नहीं होते
न ज़्यादातर जेबों में चाकू
ख़तरनाक तो दो चार ही होते लाखों में
लेकिन उनका आतंक चौकता रहता हमारी आँखों में ।
मैंने जिसे पागल समझ कर
दुतकार दिया था
वह मेरे बच्चे को ढूँढ रहा था
जिसने उसे प्यार दिया था।