भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रक़्स-ए-खि़ज़ाँ / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} <poem> '''रक़्स-ए-ख़िज़ाँ''' ख़िज़ा...) |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री | |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री | ||
+ | |संग्रह=मेरा सफ़र / अली सरदार जाफ़री | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatGhazal}} | ||
<poem> | <poem> | ||
'''रक़्स-ए-ख़िज़ाँ''' | '''रक़्स-ए-ख़िज़ाँ''' |
10:41, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण
रक़्स-ए-ख़िज़ाँ
ख़िज़ाँ रसीदा निगारे-बहार रक़्स में है
अज़ीब आलमे-बेएतिबार रक़्स में है
बरस रहे हैं दरख़्तों से रंग, सूरते-बर्ग
तिलिस्म-ख़ानः-ए-लैलो-नहार रक़्स में है
गुज़र रहा है ज़माना बहार है न ख़िज़ाँ
बस इक तबस्सुमे-बर्क़ो-शरार रक़्स में है
न जाने कौन है माशूक़ कौन है आशिक़
न जाने किसका दिले-बेक़रार रक़्स में है
जुनूँ ने पैरहने-बर्गो-बार उतार दिया
बरह्नगी है कि दीवानावार रक़्स में है
यह काइनात का हैरतकदा वुजूद का राज़
अज़ल के रोज़ से बे-इख़्तियार रक़्स में है