'''(सुदामा)'''
छाँड़ि सबै जक तोहि लगी बक, आठहु जाम यहै जक झक ठानी।
जातहि दैहैं, लदाय लढ़ा भरि, लैहैं लदाय यहै जिय जानी॥
'''(सुदामा)'''
द्वारिका जाहु जू द्वारिका जाहु जू, आठहु जाम यहै ठक झक तेरे।
जौ न कहौ करिये तो बड़ौ दुख, जैये कहाँ अपनी गति हेरे॥
सीस पगा न झगा तन में प्रभु, जानै को आहि बसै केहि ग्रामा।
धोति फटी-सि सी लटी दुपटी अरु, पाँयउ पानहि पाँय उपानह की नहिं सामा॥
द्वार खरो खड्यो द्विज दुर्बल एक, रह्यौ चकि सौं चकिसौं वसुधा अभिरामा।
पूछत दीन दयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा॥
ऐसे बेहाल बे वाइन बेवाइन सों पग, कंटक-जाल लगे पुनि जोये।
हाय! महादुख पायो सखा तुम, आये इतै न किते दिन खोये॥
देखि सुदामा की दीन दसा, करुना करिके करुमानिधि करुनानिधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सौं पग धोये॥