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"नागार्जुन / परिचय" के अवतरणों में अंतर

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'''नागार्जुन''' का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र है। वे शुरूआती दिनों में यात्री उपनाम से भी रचनाएं लिखते रहे हैं। नागार्जुन एक कवि होने के साथ-साथ उपन्यासकार और मैथिली के श्रेष्ठ कवियों में जाने जाते हैं। ये वामपंथी विचारधारा के एक महान कवि हैं। इनकी कविताओं में भारतीय जन-जीवन की विभिन्न छवियां अपना रूप लेकर प्रकट हुई हैं। कविता की विषय-वस्तु के रूप में इन्होंने प्रकृति और भारतीय किसानों के जीवन को, उनकी विभिन्न समस्याओं को, शोषण की अटूट परंपरा को और भारतीय जनता की संघर्ष-शक्ति को अत्यंत सशक्त ढंग से इस्तेमाल किया है। नागार्जुन वास्तव में भारतीय वर्ग-संघर्ष के कवि हैं।
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नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र है। वे शुरूआती दिनों में यात्री उपनाम से भी रचनाएं लिखते रहे हैं। नागार्जुन एक कवि होने के साथ-साथ उपन्यासकार और मैथिली के श्रेष्ठ कवियों में जाने जाते हैं। ये वामपंथी विचारधारा के एक महान कवि हैं। इनकी कविताओं में भारतीय जन-जीवन की विभिन्न छवियां अपना रूप लेकर प्रकट हुई हैं। कविता की विषय-वस्तु के रूप में इन्होंने प्रकृति और भारतीय किसानों के जीवन को, उनकी विभिन्न समस्याओं को, शोषण की अटूट परंपरा को और भारतीय जनता की संघर्ष-शक्ति को अत्यंत सशक्त ढंग से इस्तेमाल किया है। नागार्जुन वास्तव में भारतीय वर्ग-संघर्ष के कवि हैं।
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नागार्जुन एक घुमंतू व्यक्ति थे। वे कहीं भी टिककर नहीं रहते और अपने काव्य-पाठ और तेज़-तर्रार बातचीत से अनायास ही एक आकर्षक सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण कर देते थे। आपात्काल के दौरान नागार्जुन ने जेलयात्रा भी की थी।
 
नागार्जुन एक घुमंतू व्यक्ति थे। वे कहीं भी टिककर नहीं रहते और अपने काव्य-पाठ और तेज़-तर्रार बातचीत से अनायास ही एक आकर्षक सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण कर देते थे। आपात्काल के दौरान नागार्जुन ने जेलयात्रा भी की थी।
  
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'''नागार्जुन''' हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे. उनका असली नाम '''वैद्यनाथ मिश्र''' है परंतु हिन्दी साहित्य में वे '''बाबा नागार्जुन''' के नाम से मशहूर रहे हैं.
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*जन्म : १९११ ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ग्राम तरौनी, जिला दरभंगा में। परंपरागत प्राचीन पद्धति से संस्कृत की शिक्षा। सुविख्यात प्रगतिशील कवि एवं कथाकार। हिन्दी, मैथिली, संस्कृत और बांग्ला में काव्य रचना। मातृभाषा मैथिली में "यात्री" नाम से लेखन। मैथिली काव्य संग्रह "पत्रहीन नग्न गाछ" के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।
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*छः से अधिक उपन्यास, एक दर्जन कविता संग्रह, दो खण्ड काव्य, दो मैथिली;(हिन्दी में भी अनूदित)
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*कविता संग्रह, एक मैथिली उपन्यास, एक संस्कृत काव्य "धर्मलोक शतकम" तथा संस्कृत से कुछ अनूदित कृतियों के रचयिता।
 
उनके मुख्य कविता-संग्रह हैं:  सतरंगे पंखों वाली, हज़ार-हज़ार बाहों वाली इत्यादि। उनकी चुनी हुई रचनाएं दो भागों में प्रकाशित हुई हैं।
 
उनके मुख्य कविता-संग्रह हैं:  सतरंगे पंखों वाली, हज़ार-हज़ार बाहों वाली इत्यादि। उनकी चुनी हुई रचनाएं दो भागों में प्रकाशित हुई हैं।
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*निधन : ५ नवम्बर १९९८ ।

20:29, 28 नवम्बर 2007 का अवतरण

Nagarjun.jpg

नागार्जुन का वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र है। वे शुरूआती दिनों में यात्री उपनाम से भी रचनाएं लिखते रहे हैं। नागार्जुन एक कवि होने के साथ-साथ उपन्यासकार और मैथिली के श्रेष्ठ कवियों में जाने जाते हैं। ये वामपंथी विचारधारा के एक महान कवि हैं। इनकी कविताओं में भारतीय जन-जीवन की विभिन्न छवियां अपना रूप लेकर प्रकट हुई हैं। कविता की विषय-वस्तु के रूप में इन्होंने प्रकृति और भारतीय किसानों के जीवन को, उनकी विभिन्न समस्याओं को, शोषण की अटूट परंपरा को और भारतीय जनता की संघर्ष-शक्ति को अत्यंत सशक्त ढंग से इस्तेमाल किया है। नागार्जुन वास्तव में भारतीय वर्ग-संघर्ष के कवि हैं। नागार्जुन एक घुमंतू व्यक्ति थे। वे कहीं भी टिककर नहीं रहते और अपने काव्य-पाठ और तेज़-तर्रार बातचीत से अनायास ही एक आकर्षक सांस्कृतिक वातावरण का निर्माण कर देते थे। आपात्काल के दौरान नागार्जुन ने जेलयात्रा भी की थी।

नागार्जुन हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे. उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र है परंतु हिन्दी साहित्य में वे बाबा नागार्जुन के नाम से मशहूर रहे हैं.

  • जन्म : १९११ ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन ग्राम तरौनी, जिला दरभंगा में। परंपरागत प्राचीन पद्धति से संस्कृत की शिक्षा। सुविख्यात प्रगतिशील कवि एवं कथाकार। हिन्दी, मैथिली, संस्कृत और बांग्ला में काव्य रचना। मातृभाषा मैथिली में "यात्री" नाम से लेखन। मैथिली काव्य संग्रह "पत्रहीन नग्न गाछ" के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।
  • छः से अधिक उपन्यास, एक दर्जन कविता संग्रह, दो खण्ड काव्य, दो मैथिली;(हिन्दी में भी अनूदित)
  • कविता संग्रह, एक मैथिली उपन्यास, एक संस्कृत काव्य "धर्मलोक शतकम" तथा संस्कृत से कुछ अनूदित कृतियों के रचयिता।

उनके मुख्य कविता-संग्रह हैं: सतरंगे पंखों वाली, हज़ार-हज़ार बाहों वाली इत्यादि। उनकी चुनी हुई रचनाएं दो भागों में प्रकाशित हुई हैं।

  • निधन : ५ नवम्बर १९९८ ।