"सोना और प्लास्टिक / देवेन्द्र आर्य" के अवतरणों में अंतर
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जी नहीं सोना सोएगा प्लास्टिक जागेगा | जी नहीं सोना सोएगा प्लास्टिक जागेगा | ||
सोया सो खोया जागा सो पाया | सोया सो खोया जागा सो पाया | ||
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सोना एक सामंतवादी धातु है | सोना एक सामंतवादी धातु है | ||
और प्लास्टिक प्रयोगशाला में उत्पन्न समाजवाद | और प्लास्टिक प्रयोगशाला में उत्पन्न समाजवाद | ||
− | प्लास्टिक के समाजवाद ने बिवाई फटे | + | प्लास्टिक के समाजवाद ने बिवाई फटे पाँवों में चप्पलें डाल दीं |
और सिर पर छत। | और सिर पर छत। | ||
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सोना बुर्जुआ है प्लास्टिक प्रोलितेरियत | सोना बुर्जुआ है प्लास्टिक प्रोलितेरियत | ||
यानी दलित-दमित | यानी दलित-दमित | ||
सोना ब्राह्णण है प्लास्टिक चमार। | सोना ब्राह्णण है प्लास्टिक चमार। | ||
− | + | शद्ध माना जाता है सोना पुरुषों की तरह | |
− | स्त्री प्लास्टिक है कभी | + | स्त्री प्लास्टिक है कभी शुद्ध नहीं होती |
− | माह के पचीस दिन भी नहीं। | + | माह के पचीस दिन भी नहीं। |
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सीने पर धारण करती हैं | सीने पर धारण करती हैं | ||
− | स्त्री है प्लास्टिक इसलिए पुरुष उसे | + | स्त्री है प्लास्टिक इसलिए पुरुष उसे पाँव में धारण करते हैं |
पनही की तरह | पनही की तरह | ||
कोमल है सोना बजझित है प्लास्टिक। | कोमल है सोना बजझित है प्लास्टिक। | ||
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खानदानी होता है सोना खान से निकलता है | खानदानी होता है सोना खान से निकलता है | ||
खानदानियों की तरह मिलावट सोने का गुण-धर्म है। | खानदानियों की तरह मिलावट सोने का गुण-धर्म है। | ||
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कमर से ऊपर शुध्द शरीर पर ही विराजमान होता है | कमर से ऊपर शुध्द शरीर पर ही विराजमान होता है | ||
कमर के नीचे बखरा स्त्रियों का | कमर के नीचे बखरा स्त्रियों का | ||
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नाक-कान नहीं दरअसल छेदी जाती है आत्मा | नाक-कान नहीं दरअसल छेदी जाती है आत्मा | ||
सोनामढ़ी छेदही आवाज! | सोनामढ़ी छेदही आवाज! | ||
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सूर्य का ताप प्लास्टिक की प्रजातियां ही सह सकती हैं | सूर्य का ताप प्लास्टिक की प्रजातियां ही सह सकती हैं | ||
सोना तो लंका हो जाएगा। | सोना तो लंका हो जाएगा। | ||
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आज तक किसी ने किसी को | आज तक किसी ने किसी को | ||
सोने का पेसमेकर धारण करते देखा-सुना हो | सोने का पेसमेकर धारण करते देखा-सुना हो | ||
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नहीं तो राम नाम असत्य हो जाएगा | नहीं तो राम नाम असत्य हो जाएगा | ||
दाऊ किंगडम विल बिकम दो कौड़ी। | दाऊ किंगडम विल बिकम दो कौड़ी। | ||
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04:24, 17 नवम्बर 2009 का अवतरण
अगर कभी पैदा किए जा सके सोने में
प्लास्टिक के गुण तो दाम इसके चढ़ेंगे?
आप कहेंगे सोना भागेगा
जी नहीं सोना सोएगा प्लास्टिक जागेगा
सोया सो खोया जागा सो पाया
ज़माना प्लास्टिक का आया।
सोना एक सामंतवादी धातु है
और प्लास्टिक प्रयोगशाला में उत्पन्न समाजवाद
प्लास्टिक के समाजवाद ने बिवाई फटे पाँवों में चप्पलें डाल दीं
और सिर पर छत।
सोना बुर्जुआ है प्लास्टिक प्रोलितेरियत
यानी दलित-दमित
सोना ब्राह्णण है प्लास्टिक चमार।
शद्ध माना जाता है सोना पुरुषों की तरह
स्त्री प्लास्टिक है कभी शुद्ध नहीं होती
माह के पचीस दिन भी नहीं।
पुरुष है सोना इसलिए स्त्रियाँ उसे मंगल की तरह
सीने पर धारण करती हैं
स्त्री है प्लास्टिक इसलिए पुरुष उसे पाँव में धारण करते हैं
पनही की तरह
कोमल है सोना बजझित है प्लास्टिक।
खानदानी होता है सोना खान से निकलता है
खानदानियों की तरह मिलावट सोने का गुण-धर्म है।
अपनी मिलावटी ऐंठ को गहना समझता है सोना
कमर से ऊपर शुध्द शरीर पर ही विराजमान होता है
कमर के नीचे बखरा स्त्रियों का
जहाँ ऊपर वाले मतलब भर के लिए उतरते हैं।
सोना धारण करने के लिए नाक कान छेदाती हैं स्त्रियाँ
नाक-कान नहीं दरअसल छेदी जाती है आत्मा
सोनामढ़ी छेदही आवाज!
सोना मर्त्यलोक का स्वामी है प्लास्टिक देव लोकी
सूर्य का ताप प्लास्टिक की प्रजातियां ही सह सकती हैं
सोना तो लंका हो जाएगा।
आज तक किसी ने किसी को
सोने का पेसमेकर धारण करते देखा-सुना हो
तो बताए
ब्रूनो के सुल्तान हो कि स्टील किंग मितल
कि मीडिया मर्डोक कि स्वयं ससुर बुश
दिल की धड़कन वापस लानी होगी
तो अछूत प्लास्टिक को दिल में जगह देनी होगी
नहीं तो राम नाम असत्य हो जाएगा
दाऊ किंगडम विल बिकम दो कौड़ी।