भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बीमार / देवेन्द्र रिणवा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= देवेन्द्र रिणवा |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> रात एक लम्…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:26, 21 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
रात एक लम्बी जेल
सज़ा
नींद का न आना
ऐसे में
धीरे से बदलना करवट
दर्द को जज़्ब कर जाना
रोक देना कराह को
होठों की सीमा के अन्दर
दबे पाँव उठकर
पी लेना पानी
कि सोया है पास कोई
खलल न हो
बीमारी से ग्रस्त
आदमी के भीतर
है कोई
जो बीमार नहीं है