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"उठता गिरता पारा पानी / प्रदीप कान्त" के अवतरणों में अंतर

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02:51, 29 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

उठता गिरता पारा पानी
पलकों पलकों ख़ारा पानी
 
चट्टाने आईं पथ में जब
बनते देखा आरा पानी
 
नानी की ऐनक के पीछे
उफन रहा था गारा पानी
 
पानी तो पानी है फिर भी
उनका और हमारा पानी
 
देख जगत को रोया फिर से
यह बेबस बेचारा पानी