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विद्रुम औ मरकत की छाया / सुमित्रानंदन पंत
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09:00, 19 दिसम्बर 2009
::--लो, चित्रशलभ-सी, पंख खोल
::उड़ने को है कुसुमित घाटी,--
::
यह है अल्मोड़े का वसन्त,
::
खिल पड़ीं निखिल पर्वत-पाटी!
'''रचनाकाल: मई’१९३५'''
</poem>
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